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भाषा का आशय एक पुनर्खोज






भाषा के आशय का प्रभाव

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"स्त्री एवं पुरूष कल्याण हेतु 

 एक पुनर्खोज" :


वर्तमान में देश के समस्त परिवार न्यायालय स्त्रियों एवं पुरूषों के विवादित मामलों से पटे पड़े हैं आखिर क्यों? किसी भी आयु के स्त्री लिंगी व्यक्ति को उस आयु की स्त्री कहते हैं और किसी भी आयु के पुर्लिंगी व्यक्ति को उस आयु का  पुरूष कहते हैं | जीव विज्ञान के अनुसार स्त्री की उत्पत्ति समविभाजित 44 कोशिकाओं से होती है | इसलिये स्त्रियाँ प्रतिकूल परिस्थितियों में संतुलित रहती हैं | पुरूष की उत्पत्ति अविभाजित 43 कोशिकाओं से होती है | इसलिये पुरूष अनुकूल परिस्थितियों में भी असंतुलित रहते हैं | देश व दुनिया में जितनी भी सभ्यतायें पुरूषों ने विकसित की हैं वे स्त्रियों के सहयोग से ही विकसित हुई हैं | स्त्रियों की भाषा व्यवहारिकता की है और पुरूषों की भाषा सिद्धांत की है | अत:, स्त्रियों एवं पुरूषों को एक दूजे का आशय समझने के लिये एक दूजे की भाषा में वार्तालाप करना चाहिये | 
       द्वापर काल में महाभारतयुद्ध में जब अभिमन्यु की मृत्यु हुई तो श्री कृष्ण को मुस्कुराता देख अर्जुन ने कहा कि आपको कौन सी खुशी प्राप्त हुई ? भगवान श्री कृष्ण जी ने अर्जुन से कहा कि स्त्रियों की भांति विलाप करते तुम्हें लाज नही आती ? क्या तुम मनुमत् का सिद्धांत भूल गये कि जो इस धरती पर आया है उसे जाना भी है | यह सुनकर अर्जुन चुप हो गये | इस प्रकार श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को पुरूष की सैद्धांतिक भाषा में अपना आशय समझाया | इसके बाद भगवान श्री कृष्ण जी अपनी बहन सुभद्रा के पास गये जो पुत्र वियोग में तीव्र विलाप कर रहीं थीं | उनके पास बैठ कर श्री कृष्ण जी भी उनसे भी ज्यादा तीव्र विलाप करने लगे | इसे देख सुभद्रा अपना विलाप तो भूल गयीं और अपने भाई श्री कृष्ण जी को समझाने लगीं कि इतने ध्यानी एवं ज्ञानी पुरूष होते हुये भी स्त्रियों की भांति रोते तुम्हें लाज नहीं आ रही ? सबको समझाने वाले तुम्हीं मनुमत् का सिद्धांत भूल गये कि जो इस धरती पर आया उसको जाना भी है | यह सुन श्री कृष्ण जी ने रोना बन्द कर दिया | अर्जुन ने श्री कृष्ण जी से पूछा कि तुम सुभद्रा के पास बैठ कर स्त्रियों की भांति विलाप कर रहे थे तो क्या तुम्हें लाज नही आ रही थी ? श्री कृष्ण जी ने अर्जुन से कहा कि मैने तुम्हें अपना आशय तुम्हारी पुरूष की सैद्धांतिक भाषा में समझाया और सुभद्रा को उसकी स्त्री की व्यवहारिकता की भाषा में समझाया | अत:, समस्त स्त्रियों एवं पुरूषों को एक दूजे को समझाने के लिये एक दूजे की भाषा में ही वार्तालाप करना चाहिये जिससे कि आपस में, परिवार, समाज व देश में वाद-विवाद एवं झगड़ा- फसाद तथा विभाजन एवं विनाश की नौबत ही ना आये |यही गीता का ज्ञान है| इस बात ऐसे भी समझा जा सकता है कि दो अंग्रेज महिलाओं ने एक हिन्दुस्तानी चाय वाले दुकानदार से अपनी भाषा मे कहा," प्लीज टू कप टी ? तो दुकान ने अपनी भाषा में कहा," मैं क्यों कपटी, तेरा बाप कपटी |" इसी को कहते है भाषा का आशय न समझने का दुष्परिणाम |


आकांक्षा सक्सेना
ब्लॉगर 'समाज और हम'


.....🙏धन्यवाद🙏......




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